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Sai baba ki kahani (साई बाबा की व्रत कथा)

 साईं बाबा की व्रत कथा और आरती

( नौ गुरुवारों की व्रत कथा)

आज हम साईं बाबा की व्रत कथा और आरती लिख रहे हैं। इस blog में आपको साईं बाबा की कथा, आरती और साईं बाबा की महिमा के बारे में बताया जा रहा है। इसके अलावा नौ गुरुवार की कथा के बारे में भी बताया जा रहा है। 

आशा करते हैं कि आपको sai baba की यह कथाएं पसंद आएगी।

                     Content

                       1. साई बाबा के व्रत रखने के नियम

                       2. व्रत की उद्यापन विधी

                       3. साई बाबा की व्रत कथा  

                      4. साई बाबा की आरती

 

  1. साई बाबा के व्रत रखने के नियम

 ● साईं बाबा के व्रत को बिना जात-पात के भेदभाव के कोई भी व्यक्ति रख सकता है, चाहे वो स्त्री हो, पुरुष हो या बच्चे हो।
● यह व्रत बहुत चमत्कारी है। यह व्रत किसी भी गुरुवार को साईं बाबा का नाम लेकर शुरू किया जा सकता है।
● जिस कार्य सिद्धि के लिए यह व्रत किया जा रहा है। उसके लिए साई बाबा से हमें सच्चे मन से प्रार्थना करनी चाहिए। साईं बाबा आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करेंगें।
● यह व्रत फलाहार(दुध, चाय, फल मिठाई) लेकर भी किया जा सकता है या एक समय भोजन करके भी किया जा सकता है। लेकिन बिल्कुल भूखे रहकर उपवास ना करें।
● व्रत वाले दिन सुबह या शाम को साईं बाबा की फोटो तथा साईं नाथ सिद्ध बीसा यंत्र की पूजा करनी चाहिए। पूजा करने से पूर्व नहा-धोकर साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। इसके पश्चात पूर्व दिशा में किसी आसन पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर श्री साईं बाबा की फोटो और यंत्र को स्वच्छ जल से साफ कर स्थापित करें। चंदन का तिलक लगाएं और पीले फूल चढ़ाएं और आगरबती तथा दीपक जलाकर साईं व्रत की कथा पढ़नी चाहिए। साईं बाबा स्मरण करना चाहिए था। 
● बाबा की आरती कर प्रसाद बांटे और स्वयं भी ग्रहण करें। प्रसाद में कोई भी फल या मिठाई या घर में बनाई खिचड़ी बांंट सकते हैं।
● नो गुरुवार को यदि संभव हो तो साईं बाबा के मंदिर अवश्य जाएं। यदि आप मंदिर ना जा सके तो घर पर ही श्रद्धा पूर्वक साईं बाबा का स्मरण करना चाहिए।
● यदि व्रत वाले दिन कहीं बाहर जाना हो तो व्रत चालू रखा जा सकता है या फिर उस गुरुवार को छोड़कर अगले गुरुवार को व्रत किया जा सकता है।

Sai baba ki katha



         2. साई बाबा व्रत की उद्यापन विधि

● नवें गुरुवार को व्रत पूरा होने पर ही उद्यापन करना चाहिए। इस दिन कम से कम 5 गरीब व्यक्तियों को भोजन कराना चाहिए।
● साईं बाबा के व्रत के उद्यापन में पड़ोस के मित्रों, सगे संबंधियों को साईं बाबा की महिमा और कथा का प्रचार प्रसार करने के लिए 'श्री साईं बाबा की व्रत कथा' पुस्तके भेंट करनी चाहिए।
● 9वें गुरूवार को जितनी भी पुस्तके देनी है, उन्हें तिलक लगाकर पूजा में रखें और बाद में बांंटे। 
● साईं नाथ सिद्ध बीसा यंत्र जिसकी 9 गुरुवार तक पूजा की है, इस यंत्र को अपने पूजा के स्थान पर स्थापित करें।


         3. साई बाबा की व्रत कथा 

सीमा बहन और उनके पति उमेश एक बड़े शहर में रहते थे। दोनों का एक-दूसरे के प्रति बढ़ा प्रेमभाव रखते थे और वह अपने घर परिवार में बहुत आनंद पूर्वक रहते थे। उमेश भाई का अच्छा खासा कारोबार था परंतु उनका शौक बहुत थोड़ा कठोर और बोलने का थोड़ा ढंग कम था। अचानक समय बदल गया और उमेश भाई का अच्छा खासा चल रहा कारोबार ठप पड़ गया। अत्यधिक घाटा होने के कारण उन्हें अपना व्यापार बंद करना पड़ा और समय के कारण विवश होकर घर बैठना पड़ा।
इस कारण से उनके स्वभाव में पहले से और ज्यादा कठोरता आ गई थी और बात-बात पर लड़ना-झगड़ना उनकी आदत बन गई थी। स्वभाव के कारण उनके पड़ोसी भी उनसे खिन्न रहते थे।सीमा बहन बहुत ही धार्मिक स्वभाव की महिला थी। वह भगवान पर पूर्ण आस्था और विश्वास रखती थी। इसीलिए वह बिना कुछ कहे सब कुछ सहन कर लेती थी। उन्हें विश्वास था कि ईश्वर एक दिन अवश्य रास्ता दिखाएगा।
         एक दिन दोपहर पर उनके घर पर एक वृद्ध साधु महाराज आए उनके चेहरे पर अद्भुत तेज था और आंखों से अमृत बरस रहा था। उन्होंने आकर दाल चावल की मांग की। सीमा बहन ने हाथ जोड़कर नमस्कार किया और तुरंत साधु महाराज को दाल चावल ला कर दिए। साधु ने उन्हें आशीर्वाद दिया, साईं सदा सुखी रखे।  सीमा बहन ने कहा कि महाराज सुख हमारे भाग्य में ही नहीं है और फिर अपने दुख की सारी कहानी साधु महाराज को कह दी।
       महाराज ने सीमा बहन को दुखों को दूर करने हेतु साईं बाबा के नों गुरुवार के व्रत करने को कहा। महाराज ने सीमा बहन को व्रत की सारी विधि बता दी फिर कहा कि कलयुग में यह व्रत बड़ा चमत्कारी है। यह सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है लेकिन साईं बाबा पर अटूट, श्रद्धा, विश्वास और धीरज रखना बहुत जरूरी है। व्रत को करते समय हमें किसी के भी प्रति ईर्ष्या, द्वेष नहीं रखना चाहिए और झूठ, छल, कपट आदि बुरी आदतों को भी त्याग देना चाहिए। साई का स्मरण करते रहना चाहिए।
साधु महाराज की यह बातें सुनकर सीमा बहन बहुत ही खुश हुई और उन्होंने भी 9 गुरुवार तक का व्रत कर लिया। नवें गुरुवार को व्रत पूर्ण होने पर उन्होंने उद्यापन किया और गरीबों को भोजन कराया  तथा साईं व्रत की 101 पुस्तकें भी भेंट की। इससे उनके घर पर झगड़े दूर हुए, घर में बहुत सुख शांति हो गई। दीपक भाई का स्वभाव भी आश्चर्यजनक रूप से बदलने लगा और उन्होंने फिर से अपना कारोबार शुरू कर दिया। कुछ ही दिनों में उनके घर में सुख समृद्धि बढ़ गई और दोनों पति-पत्नी सुख से जीवन बिताने लगे। 



          4. साई बाबा की आरती

 आरती श्री साई गुरुवर की, परमानंद सदा सुरवर की।               जा की कृपा विपुल सुखकारी, दु:ख, शोक, संकट, भयहारी। शिरडी में अवतार रचाया, चमत्कार से तत्व दिखाया।        कितने भक्त चरण थर आये, वे सुख शांति चिरंतर पाये।             भाव धरे जो मन में जैसा, पावत अनुभव वो ही वैसा।               गुरु की उदी लगावे तन को, समाधान लाभत उस मन को।       साईं नाम सदा जो गावे, सो फल जग में शाश्वत पावे।      गुरुवासर करी पूजा-सेवा, उस पर कृपा करत गुरुदेवा।        राम, कृष्ण, हनुमान रूप में, दे दर्शन, जानत जो मन में।      विविध धर्म के सेवक आते, दर्शन इच्छित फल पाते।              जै बोलो साईं बाबा की, जै बोलो अवधूत गुरु की।            'साईदास' आरती को गावै, घर में बसि सुख, मंगल पावे।


हम आशा करते हैं कि आपको sai baba ki katha पसंद आई होगी। साईं बाबा की कथा के कहीं चमत्कार दिखाई दिए हैं।  यह ब्लॉग आपको पसंद आया तो इसे शेयर जरूर करें।

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