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5 Bedtime stories for kids in hindi | with moral |

 5 Bedtime stories for kids in hindi 

today we are writing 5 bedtime stories for kids in hindi.These stories are for children and are also written in Hindi language. The bedtime stories we present are also inspiring for children.

Below are 5 very interesting bedtime stories written in Hindi. We hope you will like this Hindi bedtime story collection.


आज हम बच्चों के लिए 5 bedtime stories in hindi लिख रहे है।  ये कहानियाँ बच्चों के लिए और हिन्दी में लिखी गई है। हमारे द्वारा प्रस्तुत bedtime stories बच्चों के लिए प्रेरणादायक भी है। 

 हम 5 interesting bedtime stories हिन्दी में लिख रहे है। हम आशा करते है कि आपको bedtime stories का यह संग्रह बहुत पसंद आयेगा।

5 bedtime stories for kids in hindi


                        Contents

1.  खरगोश का डर

2.  सुगन्ध के पैसे

3.  टिड्डे की लापरवाही

4.  अनपढ ग्राहक 

5.   बुद्धि का चमत्कार


              1. खरगोश का डर  (bedtime stories for kids in hindi)

एक जंगल था उसमें एक खरगोश🐇रहा करता था। वह खरगोश बहुत ही डरपोक था। कहीं से उसे जरा सी भी आवाज सुनाई देती तो डर के मारे भागता था। डर के कारण वह हमेशा अपने कानों को चौकन्ना रखता था। इसलिए वह कभी आराम से सो भी नहीं पाता था।

          एक दिन की बात है, जब खरगोश🐇 एक फल के पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। तभी उस पेड़ से एक फल नीचे उसके पास आकर गिरा। उस फल के गिरने की आवाज सुनकर वह डर गया और हड़बड़ाहट में दूर भग गया। फिर चिल्लाते हुए भागने लगा "भागो! भागो! भागो!"🏃🏃 आसमान🌨️🌨️गिर रहा है।

       जब वह भाग रहा था तभी रास्ते में उसे एक डरपोक गीदड🐺 मिला। गीदड़ ने पूछा "भाई , भाग क्यों रहे हो। क्या बात है?
तब खरगोश ने जवाब दिया "तुम भी भागो! भागो!🏃🏃 आसमान🌨️ गिर रहा है।" गीदड़ भी डरपोक था, तो वह भी उसके साथ भागने लगा। दोनों साथ-साथ भागते-भागते चिल्ला रहे थे। "भागो! भागो!🏃🏃आसमान🌨️🌨️गिर रहा है।" 
             
            उनको देखकर ही हिरण, लोमड़ी, जिराफ, भेडिया और अन्य जानवर भी झुंड में भागने लगे। 🐘🦏🐫🐪🐿️🐑🐂🐕। सभी जानवर भागते भागते🏃🏃 एक साथ चिल्ला रहे थे, "भागो! भागो! 🏃आसमान🌨️ गिर रहा है।"
          
ऐसा करते-करते, वे शेर🐆 की गुफा⛺️ के पास आ गए। शेर🐆 अपनी गुफा⛺️ में सो रहा था। लेकिन उन सब की आवाज सुनकर जाग उठा और अपनी गुफा से बाहर आया। उसने दहाड़ते हुए कहा कि "आखिर बात क्या है? तुम सब भाग क्यों रहे हो।" शेर🐆 के डर के कारण सभी जानवर रुक गए और सभी जानवरों ने एक स्वर में कहा "आसमान गिर रहा है।"
   
             यह सुन जंगल का राजा शेर🐆 बहुत हँसा😂। हँसते-हँसते उसकी आंखों में आंसू 🤣🤣आ गए। उसने अपनी हंसी रोक कर कहा कि "आसमान को गिरते हुए किसने देखा?"
सभी जानवर एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। अंत में सभी की नजरें खरगोश की तरफ आ गई। 
फिर खरगोश ने तुरंत कहा कि "मेरे ऊपर एक आसमान का टुकड़ा गिरा था।" 

तब शेर ने कहा "कहांँ पर गिरा था।"

खरगोश ने जवाब दिया "एक पेड़ के नीचे।"

फिर शेर बोला "चलो चलते हैं, उस पेड़ के पास और देखते हैं।"

             शेर🐆के पीछे पीछे जानवरों की सारी पलटन🐕🐂🐑🐿️🐪🦏🐘🐫 उस पेड़🏝️ के पास पहुंच गई सभी ने इधर-उधर बहुत तलाश🕵️🕵️ की लेकिन किसी को भी आसमान का टुकड़ा☁️ नहीं दिखाई दिया। हां, एक फल ज़मीन पर जरूर दिखाई दिया। 
        फिर शेर🐆 ने उस फल की ओर इशारा करते हुए खरगोश 🐇से कहा कि "यही है तुम्हारा आसमान का टुकड़ा जिसके कारण तुमने सबको भयभीत कर दिया?"
इसके बाद खरगोश को अपनी भूल समझ में आई और वह डर के मारे कांपने लगा।
        
           इस बात पर सभी जानवर शर्मिंदा हुए। वे सब पछता रहे थे कि "सुनी-सुनाई बात पर विश्वास करके हम बेकार ही भाग रहे थे।"


Moral (नैतिक शिक्षा):--   

आपको इस कहानी की शिक्षा कहानी की अंतिम पंक्ति में मिल गई होगी कि "हमें सुनी सुनाई बातों पर यकीन नहीं करना चाहिए।"

     

                 2.सुगन्ध के पैसे।              ( bedtime stories for kids in hindi)

एक गरीब आदमी था। वह सारे दिन मजदूरी करके अपना घर खर्च चलाया करता था। एक दिन शाम को वह अपने घर लौट रहा था🚶। रास्ते में उसे एक मिठाई की दुकान दिखाई दी। उस दुकान से पूरे रास्ते में मिठाइयों की मीठी मीठी सुगंध आ रही थी। इससे उस मजदूर के मुंह में पानी आ गया और वह दुकान के पास गया। कुछ देर  वहां खड़ा रहा। उसके पास कुछ पैसे तो थे परंतु वें मिठाई खरीदने के लिए काफी नहीं थे। वह उस दुकान से वापस लौटने लगा। तभी उस दुकानदार का कठोर स्वर उसे सुनाई दिया कि "रुको! पैसे तो देते जाओ"

 मजदूर ने पूछा "किस बात के पैसे?"

दुकानदार ने जवाब दिया "मिठाई के पैसे!"

मजदूर ने कहा "लेकिन मैंने तो मिठाई खाई नहीं, फिर किस बात के पैसे दूं।"

दुकानदार ने चतुराई दिखाते हुए कहा "कि तुमने मिठाई की सुगंध तो ली है ना!  सुगंध लेना मिठाई लेने के बराबर है।"

       यह बात सुनकर बेचारा मजदूर बहुत घबरा गया। कुछ दूर खड़ा एक बुद्धिमान व्यक्ति यह सारा वार्तालाप सुन रहा था। उसने मजदूर को अपने पास बुलाया। उस बुद्धिमान व्यक्ति ने मजदूर के कान👂 में कुछ कहा और उस व्यक्ति की बात सुनकर मजदूर भी बहुत प्रसन्न😀 हुआ। 

         वह मजदूर दुकानदार के पास गया और अपनी जेब के पैसों को खनखनाने लगा। उन पैसों की खनखनाहट को सुनकर वह दुकानदार खुश😀 हो गया। 

दुकानदार बोला "चलो निकालो पैसे।"

मजदूर बोला "पैसे तो दे दिए मैंने।"

दुकानदार बोला "तुमने पैसे कब दिए!"

मजदूर ने कहा "अभी तुमने पैसों की खनखनाहट तो सुनी है न! अगर मिठाई की सुगंध लेना मिठाई लेने के बराबर है तो पैसों की खनखनाहट सुनना भी पैसे पैसे लेने के बराबर है।" यह बात कहकर वह मजदूर गर्व से सिर ऊँँचा उठाकर वहां से चला गया।

( Moral ) नैतिक शिक्षा:-- जैसे को तैसा।

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               3. टिड्डे की लापरवाही।        (bedtime stories for kids in hindi)

गर्मियों के दिनों की बात है। तेज धूप थी और मौसम भी साफ था।  अनाज भी खूब था। ऐसे समय में टिड्डा भरपुर खाना खाकर घूम रहा था। तब उसने चीटियों को भोजन इकट्ठा करते हुए देखा। वे चीटियां भविष्य के लिए भोजन सामग्री संग्रहित कर रही थी।
                
                चीटियों को देखकर हंसने लगा। उनमें से एक चींटी  उस टिड्डे की दोस्त थी। टिड्डे ने चींटी से कहा "तुम सब कितनी लालची हो! इस बढ़िया समय में भी तुम काम कर रही हो, तरस आता है, मुझे तुम पर।" 
चींटी ने जवाब दिया कि "अरे! हम यह खाद्य सामग्री बरसात के समय के लिए इकट्ठा कर रहे हैं।"

कुछ दिनों बाद ही गर्मी का मौसम खत्म हो गया और बरसात का मौसम आ गया। आकाश में बादल छाने लगे। धूप धीरे-धीरे गायब होने लगी। अब टिड्डे के लिए भोजन इकट्ठा करना  बड़ी चुनौती बन गई। आखिरकार उसके सामने भूखे मरने की समस्या खड़ी हो गई।
  
              एक दिन उस टिड्डे को अपनी दोस्त चींटी की याद आई। उसने दोस्त चींटी का दरवाजा खटखटाया। उसने चींटी से कहा "चींटी बहन कृपा करके मुझे कुछ खाने के लिए दे दो। मै बहुत भूखा हूँ। "
चींटी ने जवाब दिया कि "गर्मियों के मौसम में तो तुम मस्त मगन होकर इधर-उधर घूम रहे थे। तब तुम हमें लालची बता रहे थे। अब जाओ और बरसात के मौसम में जाकर नाचो। तुम जैसे लापरवाह और आलसी को मैं एक दाना देना नहीं चाहती।" 
 इतना कहकर चींटी ने अपना दरवाजा झट से बंद कर दिया।
 इस प्रकार टिड्डे की अपने कर्म के प्रति लापरवाही उसे भारी   पड़। 

(Moral) नैतिक शिक्षा:--    हमें कभी भी अपने काम में लापरवाही और आलस नहीं करना चाहिए।

               4. अनपढ ग्राहक                (bedtime stories for kids in hindi)

एक व्यक्ति था। जो बिल्कुल पढ़ा लिखा नहीं था। वह लोगों को अखबार और किताबें पढ़ने के लिए चश्मा लगाते हुए देखा करता था। वह सोचता था, कि अगर मेरे पास भी एक चश्मा होता तो मैं भी किताब और अखबार पढ़ सकता हूं।  उसने सोचा कि "क्यों ना! मैं भी शहर जाकर एक चश्मा खरीद लाऊँ।"

                अगले दिन वह शहर गया। शहर में एक चश्मे की दुकान पर चला गया। उसने दुकानदार से कहा कि मुझे एक चश्मा दिखाओ। दुकानदार ने उसे तरह-तरह के चश्मे दिखाएं और पढ़ने के लिए एक किताब भी दे दी। उसने एक एक करके सभी चश्मे लगा कर देखें परंतु वह कुछ भी नहीं पढ़ सका। उसने दुकानदार से कहा कि "इन चश्मो में से मेरे काम का एक भी चश्मा नहीं है।" 
  
                         दुकानदार ने उस व्यक्ति को आश्चर्य की नजरों से देखा। फिर उस दुकानदार की नजर किताब पर पड़ी।  उस अनपढ व्यक्ति ने किताब ही उल्टी पकड़ रखी थी। 
 दुकानदार ने उस व्यक्ति से कहा कि "शायद, तुम्हे पढ़ना नहीं आता है। 
उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि "मुझे पढ़ना नहीं आता। इसीलिए तो मैं चश्मा ले रहा हूं। ताकि मै भी औरों की तरह पढ सकूँ। 
परन्तु मैं आप के एक भी चश्मे से नहीं पढ पा रहा हूँ। दुकानदार को अपने ग्राहक की असली परेशानी समझ में आ गई और इस बात को जानकर दुकानदार खुब हँसने लगा। 

                    दुकानदार ने उस व्यक्ति को समझाते हुए कहा "अरे मेरे भाई। तुम बहुत भोले और अज्ञानी हो। सिर्फ चश्मा लगा लेने से किसी को पढ़ना लिखना नहीं आ जाता। चश्मा लगाने से सिर्फ साफ साफ दिखाई देता है। तुम पहले पढ़ना लिखना सीखो। फिर तुम बिना चश्मे के ही किताब और अखबार पढ़ सकते हैं।

(Moral) नैतिक शिक्षा:--   अज्ञानता ही अंधकार है।


              5. बुद्धि का चमत्कार            (bedtime stories for kids in hindi)

  ज्ञानचंद नाम का एक आदमी रहता था। उसके पड़ोस मेंं धनीलाल नाम का सेठ रहा करता था। ज्ञानचंद ने धनीलाल सेठ से अपनी बेटी की शादी के लिए ₹1000 उधार लिए थे। 
                उसकी बेटी की शादी होने के बाद धनीलाल सेठ ने उससे अपने ₹1000 वापस मांगे। ज्ञान चंद ने कहा "सेठ जी मैं आपके सारे पैसे दे दूंगा। बस आप मुझे थोड़ा सा समय दे दीजिए।" 
सेठ ने कहा कि "मुझे लगता था कि तुम एक इमानदार आदमी हो। लेकिन मेरा यह सोचना मेरी भूल थी।"
ज्ञान चंद ने कहा "सेठ जी थोड़ा धैर्य रखिए। मैं आपके सारे पैसे दे दूंगा। मैं बेईमान नहीं हूं।"
सेठ ने तीके स्वर में कहा "अगर तुम बेईमान नहीं हो तो मेरे साथ अदालत चलो। वहांँ न्यायाधीश के सामने मुझे लिख कर दो कि तुमने कर्ज के बदले अपना मकान मेरे पास गिरवी रखा है।"
ज्ञानचंद ने सेठ जी से कहा "सेठ जी आप मुझ पर विश्वास रखिए। मैं आपके पैसे जल्द ही लौटा दूंगा। अदालत चलने की क्या जरूरत है?"
 
परंतु सेठ जी ने ज्ञानचंद की बात नहीं मानी और वह इस बात पर अड़ा रहा कि ज्ञानचंद उसके साथ चल कर अदालत में दस्तावेज पर हस्ताक्षर करें।  वास्तविकता में धनीलाल सेठ ज्ञानचंद के मकान को हड़पना चाहता था। ज्ञानचंद सेठ के मन की बात को समझ चुका था। ज्ञानचंद उपाय लगाकर सेठ से बोला कि "मैं अदालत चलने के लिए तैयार हूं, लेकिन मेरे पास वहां चलने के लिए न तो घोड़ा है और ना ही अच्छे कपड़े।
तब तुरंत सेठ ने कहा "बस तुम तैयार हो जाओ। मैं तुम्हें अपना घोड़ा और अपने अच्छे अच्छे कपड़े भी दे दूंगा।"
फिर ज्ञानचंद बोला "मगर मैं पगड़ी और जूतों की व्यवस्था कहां से करूंगा?"
फिर धनीलाल सेट बोला "तुम्हारे लिए पगड़ी और जूतों की व्यवस्था मैं करा दूंगा। तुम अब जल्दी से तैयार हो जाओ, देर मत करो।
                धनीलाल मन ही मन में खुश हो रहा था। ज्ञानचंद ने धनीलाल की पोशाक पहन ली और जूते व पगड़ी पहन कर तैयार हो गया।  वह सेठ धनी लाल के घोड़े पर सवार होकर अदालत चला गया। जब अदालत में ज्ञानचंद का नाम पुकारा गया तो वह न्यायाधीश के सामने जाकर हाजिर हुआ। उसने न्यायाधीश से कहा "श्रीमान, सेठ धनीलाल का कहना है कि मेरा घर और मेरे घर का सारा सामान उनका है। इसके लिए यह मुझसे हमेशा झगड़ा करते रहते हैं और आज मुझे जबरन अदालत लेकर आ गए। श्रीमान, कृपया आप मुझे इन से कुछ सवाल पूछने की इजाजत दें।" न्यायधीश ने सेठ धनीलाल को बुलाया और ज्ञानचंद को सवाल पूछने का आदेश दिया। 
 
 ज्ञानचंद ने सेठ से पूछा कि "मेरे सिर पर बंधी पगड़ी किसकी है?"    तब सेठ ने जवाब दिया "मेरी है।"
 ज्ञानचंद ने पूछा कि "मैंने जो कपड़े पहने हैं, वह किसके हैं?" तब सेठ ने फिर जवाब दिया "मेरे हैं।"
ज्ञानचंद ने पूछा "यह जूते किसके हैं?" तब सेठ ने पहले की तरह जवाब दिया "मेरे हैं।"
फिर ज्ञानचंद ने अंतिम सवाल पूछा कि "जिस घोड़े पर सवार होकर मैं अदालत तक आया हूं। वह घोड़ा किसका है?"
तब धनीलाल सेठ चिखते हुए बोला "वह घोड़ा भी मेरा ही है और जूते, कपड़े, पगड़ी सब मेरे हैं।"

                      सेठ धनीलाल के जवाब सुन अदालत में मौजूद सभी लोग हंसने 🤣🤣लगे। सभी लोगों को लगा कि सेठ धनीलाल पागल हो गया है और अंत में न्यायाधीश ने मुकदमा खारिज कर दिया। ज्ञानचंद ने अपनी बुद्धिमता का परिचय देते हुए। सेठ धनीलाल को हंसी का पात्र साबित कर दिया और उसका षड्यंत्र विफल कर दिया।

(Moral) नैतिक शिक्षा:--   जैसे को तैसा।



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