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6 motivational stories for students| प्रेरणादायक कहानियाँ

 6 motivational stories in hindi for students 

(प्रेरणादायक कहानियाँ)

Today we are writing motivational stories in hindi with moral. These stories are only for students and also written in hindi language. These motivational stories make anyone excited to reach their stated goal.

We are writing 6 motivational stories in for students. We hope you will like this hindi motivational story collection.

आज हम motivational stories in hindi with moral लिख रहे हैं। ये कहानियाँ केवल छात्रों के लिए हैं और हिंदी भाषा में भी लिखी गई हैं। ये प्रेरक कहानियां किसी को भी अपने निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उत्साहित करती हैं। हम छात्रों के लिए 6 सर्वश्रेष्ठ प्रेरक कहानियां लिख रहे हैं। हम आशा करते हैं कि आपको यह हिंदी प्रेरक कहानी संग्रह पसंद आएगा।

6 best motivational stories in hindi for students









      

                                   Content 

  1. मुट्ठी भर लोग
  2. सबसे बडी समस्या
  3. हार-जीत का फैसला    
  4. गुरू का स्थान 
  5. सफलता का रहस्य 
  6. आप हाथी नहीं इन्सान है

 

            1.  मुट्ठी भर लोग 

(Motivational stories in   hindi)

हर साल गर्मी में महेश अपने दोस्तों के साथ पहाड़ी इलाकों में माउंटेनियरिंग के लिए जाता था। इस साल भी वह इसी मकसद से ऋषिकेश के गए। गाइड उन्हें फेमस माउंटेनियरिंग स्पॉट ले गया। महेश और उसके दोस्तों ने नहीं सोचा था कि यहां पर इतनी भीड़ होगी चारों तरफ लोग ही लोग नजर आ रहे थे।
अभी एक दोस्त बोला "यहां तो बहुत भीड़ है यहां चढ़ाई करने में मजा नहीं आएगा"। 
तब महेश नें जवाब दिया "कि अब आ गए हैं तो चलो मजे करते हैं, अफसोस करने से क्या फायदा"?
सभी लोग पर्वत चढ़ने लगे और फिर थोड़ी देर में पर्वत की चोटी पर भी पहुंच गए। वहां पर पहले से ही लोगों की बहुत भीड़ थी। फिर उन्होंने सोचा थोड़ी देर कैंपिंग करते हैं, और फिर वापस चलते हैं।  तभी महेश ने सामने की चोटी को देखते हुए कहा "कि देखो वहां पर तो देखो,... कितने कम लोग हैं ...वहां तो बहुत मजा आएगा ...चलो वहां चलते हैं"।
फिर एक दोस्त बोला "कि वहां जाना बहुत कठिन है, मैनें सुना है कि वहाँ जाने का रास्ता बडा मुश्किल है"। 
बगल में खडे कुछ लोगों ने भी महेश का मजाक उड़ाते हुए कहा "कि अगर वहां जाना इतना ही आसान होता तो हम यहां पर क्यों आते"? 
लेकिन महेश ने किसी की भी बात नहीं सुनी और अकेला ही उस पहाड़ की चोटी की तरफ बढ़ गया और 3 घंटे बाद पहाड़  के शिखर पर पहुंच गया। महेश भी वहां पहुंच कर बहुत खुश हुआ और वहां पर पहले से मौजूद लोगों ने उसका स्वागत किया। अब वहां पर वह शांति से प्रकृति की खूबसूरती का आनंद ले सकता था।  
तब जाते जाते महेश ने वहां पर उपस्थित बाकी लोगों से पूछा "कि मेरे ख्याल से यहां पर पहुंचना इतना कठिन तो नहीं था और जो उस चोटी पर पहुंच सकता है, तो वह थोड़ी सी और मेहनत करे तो इस चोटी पर भी पहुंच सकता है।..... फिर भी वहां पर सैकड़ों लोग थे और यहां पर मुट्ठी भर लोग। 
वहां मौजूद एक माउंटेनियर ने कहा "क्योकिं  ज्यादातर लोग उसी में खुश हो जाते हैं जो आसानी से मिल जाता है,  वे कभी भी नहीं जान पाते हैं कि उनके अंदर इससे भी कुछ बड़ा करने का साहस है ... ..और जो लोग थोड़ा पाकर खुश नहीं होते हैं वह भी रिस्क तो उठाना चाहते हैं, लेकिन जो पाया है कहीं वह  भी ना चल जाए, इसी के डर से वह रिस्क नहीं उठाते हैं।"
"वास्तव में हकीकत यह है कि अगली मंजिल पाने के लिए हमें थोड़ा सा ही प्रयास करने की आवश्यकता होती है। लेकिन साहस न दिखा पाने के कारण वह लोग जीवन भर भीड़ का हिस्सा बनकर रहते हैं और उन मुट्ठी भर सफल लोगों को भाग्यशाली बताकर तसल्ली कर लेते हैं।"

 (Story moral)  शिक्षा:--  हमें हमेशा अगली मंजिल तक पहुँँचने के लिए साहस करना चाहिए।

  

        2. सबसे बडी समस्या                  (motivational stories in  hindi)

बहुत समय पहले की बात है एक महा ज्ञानी पंडित हिमालय की पहाड़ियों में रहते थे। लोगों के बीच रख कर वह थक चुके थे और वह अब सादा जीवन व्यतीत करना चाहते थे। लेकिन उनकी प्रसिद्धि इतनी थी, कि लोग संकरी पहाड़ियों, नदी-नालों, पर्वतों  को पार कर भी उनसे मिलना चाहते थे। वे लोग सोचते थे कि यह पंडित जी हमारी सभी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
इस बार भी कुछ लोग हिमालय की पहाडियों में स्थित उनकी कुटिया में आ पहुंचे। पंडित जी ने उन्हें इंतजार करने के लिए कहा। 3 दिन बीत गए ओर भी लोग वहां पहुंचने लगे और जब वहां लोगों की भीड़ ज्यादा हो गई तो रहने की जगह कम पड़ने लगी। 
तब पंडित जी बोले "मैं सभी के प्रश्नों का उत्तर दूंगा लेकिन आप सब मुझसे वादा कीजिए कि आप यहां से जाने के बाद और लोगों को इस स्थान का पता नहीं बताएंगे"।..... चलिए सब अपनी अपनी समस्या बताइए।
 यह सुनते ही किसी एक ने अपनी समस्या बताने शुरू की लेकिन उसकी बात शुरू ही हुई थी, कि दूसरे ने भी अपनी समस्या बोलनी शुरू कर दी। क्योंकि सब लोग समझ चुके थे कि आज के बाद पंडित जी से हम अपनी समस्या नहीं बता पाएंगे। इसलिए सब लोग जल्दी से जल्दी अपनी समस्या का निवारण करना चाहते थे।  कुछ ही देर में वहां का दृश्य सब्जी-बाजार जैसा हो गया और अंतत: पंडित जी को चीख कर बोलना पड़ा " कृपया शांत हो जाइए! सब अपनी समस्या एक पर्चे में लिख कर मुझे दे दीजिए।"
सभी ने अपनी समस्या लिखकर पंडित जी को दे दी। पंडित जी ने उन सब पर्चो एक टोकरी में लेकर मिला दिया और बोले " इस टोकरी को सब एक दूसरे को देते जाइए, प्रत्येक व्यक्ति इसमें से एक पर्ची उठाएगा और उसे पढेगा। उसके बाद उसे निर्णय लेना होगा कि क्या वो अपनी समस्या को इस समस्या से बदलना चाहता है।" 
प्रत्येक व्यक्ति पर्ची उठाता और पर्ची को पढ़कर सहम सा जाता। सब लोग ने पर्चियां पढ़ ली और कोई भी अपनी समस्या को दूसरों की समस्या से नहीं बदलना चाहता था। सबका यही सोचना था कि उनकी समस्या चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो बाकी लोगों की समस्या जितनी गंभीर नहीं है। कुछ देर बाद सभी लोग अपनी-अपनी पर्ची हाथ में लेकर वापस लौटने लगे और सब खुश थे कि उनकी समस्या दूसरों की समस्या जितनी बडी नहीं है। 

दोस्तों, ऐसा कोई भी नहीं है, जिसके जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं है, कोई स्वास्थ्य से परेशान हैं तो कोई धन की कमी से परेशान है। हमें इन सभी समस्याओं को स्वीकार करना चाहिए और अपने जीवन को  खुशहाल जीने का प्रयास करना चाहिए।
 
(Story moral)  शिक्षा :--  हमें अपनी समस्याओं से संघर्ष कर, उनका निवारण करना चाहिए और खुशहाल जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए।
  


      3. हार जीत का फैसला।                (motivational stories in   hindi)

बहुत समय पहले की बात है। आदि गुरु शंकराचार्य व मंडन मिश्र के बीच शास्त्रार्थ चल रहा था। शास्त्रार्थ में निर्णायक थी, मंडन मिश्र की धर्मपत्नी देवी भारती। हार जीत का फैसला होना बाकी था और इसी बीच देवी भारती को  किसी कार्य हेतु कुछ समय के लिए बाहर जाना पडा। लेकिन जाने से पहले देवी भारती ने दोनों ही विद्वानों के गले में माला डालते हुए, कहा कि मेरी अनुपस्थिति में यह दोनों मालाएं ही हार जीत का फैसला करेगी। यह कहकर देवी भारती वहाँँ से चली गई। 
कुछ देर बाद देवी भारती अपना कार्य कर वापस लौट आई। आते ही उन्होंने दोनों विद्वानों को अपनी निर्णायक नजरों से बारी-बारी से देखा और  फैसला सुना दिया। उस फैसले के अनुसार आदि गुरु शंकराचार्य विजय घोषित हुए तथा उनके पति मंडन मिश्र की हार हुई। सभी दर्शक हैरान थे कि इन्होंने बिना किसी आधार पर अपनें ही पति को पराजित घोषित कर दिया।  
फिर एक विद्वान ने नम्रता पूर्वक जिज्ञासा से उनसे पुछ ही लिया कि - हे देवी! आप शास्त्रार्थ के मध्य ही बाहर चली गई थी तो फिर आते ही आप ने यह फैसला कैसे सुना दिया। 
देवी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया "कि जब भी किसी विद्वान को शास्त्रार्थ में अपनी हार की झलक दिखाई देने लगती है, तो वह क्रोधित हो उठता है और मेरे पति के गले की माला उस क्रोध के कारण सूख चुकी थी और शंकराचार्य की माला के फुल पहले की भांति ही ताजे है।  इससे यह ज्ञात होता है कि शंकराचार्य की विजय हुई। देवी भारती का यह जवाब सुन सब लोग आज चकित रह गए और उनकी प्रशंसा की।

(Story moral) शिक्षा :-- क्रोध मनुष्य को जीत के बहुत नजदीक पहुंचने के बाद भी हार की ओर ले जाता है।

           4. गुरू का स्थान                   (motivational stories in          hindi)

 एक राजा था। जिसे पढ़ना लिखना बहुत पसंद था। उसने अपने लिए मंत्रिपरिषद द्वारा एक शिक्षक की व्यवस्था करवाई।
शिक्षक राजा को पढ़ाने के लिए आने। राजा पढ़ते कहीं महीने बीत गए। लेकिन राजा को कुछ भी लाभ नहीं हुआ। शिक्षक तो बहुत मेहनत करता था, परंतु राजा को कुछ भी फायदा नहीं हो रहा था। राजा बहुत परेशान गुरु की प्रतिभा और योग्यता पर सवाल उठाना भी गलत था क्योंकि वह गुरु बहुत प्रसिद्ध एवं ज्ञानी गुरु थे। एक दिन रानी ने राजा को सलाह दी कि आप जाकर यह प्रश्न गुरू से पूछ कर आइए।

राजा ने साहस पूर्वक गुरु के सामने अपनी जिज्ञासा बताई,  " हे गुरुवर' क्षमा कीजिएगा मैं आपसे कहीं महीनों से शिक्षा ग्रहण कर रहा हूं परंतु मुझे इसका कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है ऐसा क्यों है? 
 गुरुजी ने मुस्कुराते हुए कहा "कि राजन इसका जवाब बहुत सीधा सा है, राजन बात बहुत छोटी है परंतु आप बड़े होने के  अहंकार के कारण इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं। आप एक बहुत बड़े राजा है और आप हर दृष्टि मे मुझसे पद एवं प्रतिष्ठा में बड़े है।  लेकिन यहाँँ आपका और मेरा रिश्ता एक गुरु और शिष्य का है। इसलिए मेरा स्थान आपसे उच्च  होना चाहिए। परंतु  आप मेरे से ऊंचे सिंहासन पर बैठते हैंं और मुझें अपने से नीचे वाले सिहांसन पर बैैैठाते है। यही कारण जिसके कारण आपको ज्ञान नहीं मिल रहा है। आपके राजा होने के कारण मैैं आप से यह बात नहीं कह पा रहा था।"
राजा को सारी बात समझ में आ गई। राजा ने गुरु को उच्च सिंहासन पर बिठाया और स्वयं नें उच्च शिक्षा ग्रहण की।

(Story moral) शिक्षा:-- हमें हमेशा गुरु का सम्मान करना चाहिए।


             5. सफलता का रहस्य।          (motivational stories in   hindi)

एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है। सुकरात ने कहा कि "कल तुम मुझे नदी के किनारे मिलो"।  फिर सुकरात ने उस लड़के को उनके साथ नदी में आगे बढ़ने को कहा और फिर आगे बढ़ते बढ़ते पानी गले तक पहुंच गया। तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सिर पकड़ उसे पानी में डुबो दिया। लड़का बाहर निकलने की कोशिश करने लगा लेकिन सुकरात ताकतवर थे, इसलिए वह कुछ नहीं कर सका। सुकरात ने उसे तब तक डुबोकर रखा जब तक कि वह नीला नहीं पड़ गया।  सुकरात ने उसको पानी से बाहर निकाल लिया। बाहर निकलते ही लड़का सबसे पहले हाँपते हुए, तेजी से सांस लेने लगा। 
फिर सुकरात ने पूछा कि "जब तुम पानी में थे, तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे।"
तब लड़के ने जवाब दिया "सांस लेना।"
 सुकरात ने कहा "यही सफलता का रहस्य है, जब तुम सफलता को इतनी लगन से चाहने लगोगे, जितना कि तुम अभी सांस लेना चाहते थे, तब सफलता तुम्हे मिल जाएगी है। 

(Story moral)  शिक्षा :--   सफलता को पाने के लिए पूरी लगन से मेहनत करनी चाहिए।

       6.आप हाथी नहीं इन्सान     (motivational stories in          hindi)

 एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क किनारे बंधे हुए हाथियों को देख कर, अचानक रूक गया। उसने देखा कि हाथियों के पैर में रस्सी बंधी हुई, उसे आश्चर्य हुआ कि इतने बड़े जीव को लोहे की जंजीरों की जगह रस्सियों से बांधा गया है। यह तो स्पष्ट था कि हाथी जब चाहे इस रस्सि को तोड़कर मुक्त हो सकता है, परंतु वह ऐसा क्यों नहीं कर रहे थे।
 
उस हाथी के पास खड़े महावत से पूछा कि "यह हाथी इतनी शांति से खड़े क्यों हैं और भागने का प्रयास क्यों नहीं कर रहे?"

तब  महावत ने कहा कि "इन हाथियों को बचपन से ही छोटी-छोटी रस्सियों से बांधा जाता है, उस समय इनके पास इन बंधन को तोड़ने के लिए शक्ति नहीं थी, बचपन में बार-बार प्रयास करने के बाद भी रस्सी नहीं टूटने के कारण, इनको यकीन हो जाता है  कि वह इन रस्सियों को नहीं तोड़ सकते। इसलिए बड़े होने पर भी इनका यह यकीन बना रहता है और वह इस बंधन को तोड़ने का प्रयास नहीं करते हैं"।
आदमी आश्चर्य चकित हो गया कि यह इतना बड़ा जीव इस रस्सी को इसलिए नहीं तोड़ सका क्योंकि उसे इस बात पर यकीन नहीं है।
इन हाथियों की तरह ही हम में से कितने लोग पहली बार मिली असफलता के कारण यह सोच बैठते हैं, कि यह कार्य अब हमसे नहीं हो सकता और अपनी ही बनाई हुई मानसिक जंजीरों में जकड़ कर जीवन व्यतीत करते हैं।

(Story moral)    शिक्षा:--  हमें असफल होने के बाद भी हार न मानकर सफलता के लिए प्रयास करना चाहिए।



Thank you for reading this blog. I hope you liked 6 motivational stories in hindi for students. Tell us in the comments how you liked this collection of stories. If you liked motivational stories in hindi then do share.

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