6+ motivational story for kids in hindi
( बच्चों के लिए प्रेरणादायक कहानियाँ )
Today we are writing 7 motivational story for kids in hindi. These stories are only for kids and also written in hindi. These motivational stories make kids excited to reach their stated goal.
We are writing 7 motivational story for kids in hindi. We hope you will like this hindi motivational story collection.
आज हम 7 motivational story for kids in hindi लिख रहे हैं। ये कहानियाँ बच्चों के लिए हैं और हिंदी भाषा में भी लिखी गई हैं। ये प्रेरक कहानियां बच्चों को भी अपने निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उत्साहित करती हैं।
हम बच्चों के लिए नीचे 7 motivational story for kids in hindi लिख रहे हैं।
हम आशा करते हैं कि आपको यह हिंदी प्रेरक कहानी संग्रह पसंद आएगा।
Contents
1. भागीदारी
2. हौसला
3. राजा की अपंगता
4. सोने का दुःख
5. संकल्पशक्ति
6. दान का फल
7. 'मै' का अंहकार
1. भागीदारी (Motivational story for kids in hindi)
एक बार की बात है। एक जंगल में डाकू रहता था। वह डाकू उस जंगल में छिपा रहता था और उस जंगल में से एक रास्ता गुजरता था। उस रास्ते से जो भी निकलता, वह डाकू उनको लूट कर अपना गुजरा करता था। एक दिन इस रास्ते से मुनि नारद गुजर रहे थे। डाकू उनको देखकर उन्हें लुटने के लिए आया। नारद मुनि ने यह देखकर अपनी वीणा बजाना प्रारंभ कर दिया।
डाकू यह देख चकित हो गया।
जब वह नारद मुनि के पास पहुंचा तो नारद उन्हें देख कर हंस पड़े। यह सब देख डाकू बहुत ज्यादा आश्चर्य में पड़ गया। डाकू सोचने लगा अब तक मैंने ऐसा कोई आदमी नहीं देखा है जो मेरे द्वारा हमला करने पर डरे ना। मेरे द्वारा हमला करने पर या तो लोग भागने की कोशिश करते हैं या मेरे सामने सिर झुका देते हैं। लेकिन यह व्यक्ति तो न तो भागा और ना ही मेरे सामने सिर झुकाया
नारद ने उस डाकू से पूछा "क्यों भाई, मेरे से क्या चाहते हो?
डाकू ने जवाब दिया "मैं तुझे लूटना चाहता हूं, यही मेरा काम है।"
नारद चतुराई से बोले "क्या तुम अपनी पत्नी से पूछकर आए हो कि जो तुम पाप कर रहे हो, इस पाप में क्या वह भी भागीदार है या नहीं।
डाकू ने जवाब दिया "भागीदार क्यों नहीं होगी? मैं यह काम उसी के लिए तो करता हूं।
नारद जी बोले "मैं यहीं पर खड़ा हूं, आप जाकर अपनी पत्नी से पूछकर आइए"।
डाकू ने नारद मुनि की बात मान ली और दौड़ा-दौड़ा अपने घर गया। घर जाकर उसने पत्नी से पूछा- " मैं जो पाप करके तुम्हारे लिए धन लाता हूं। उस पाप में तुम भागीदार हो।"
पत्नी ने जवाब दिया - "तुम जो लूट कर धन लाते हो उस धन से मैं तुम्हारा घर चला लेती हूं, मेरा तुम्हारे पाप से कोई संबंध नहीं है।"
डाकू यह बात सुनकर सोच में पड़ गया "कि लूट कर लाए गए धन में तो सबकी हिस्सेदारी है लेकिन पाप में हिस्सेदारी नहीं है।
पाप का अकेला भागीदार केवल मैं।"
वह लौटकर आया और नारद के पैरों में पड़कर रोने लगा।
डाकू बोला - "मैं पापी हूं, मेरा उद्धार करो।"
नारद मुनि बोले "तुमने अपनी भूल को समझ लिया है और पश्चाताप किया है, तो तुम्हारे सभी पाप दूर हो गये है।"
उस दिन से उस डाकू ने सभी बुरे काम छोड़ दिए और आगे चलकर वह महर्षि वाल्मीक बने।
2. हौसला (Motivational story for kids in hindi)
यह बात उस समय की है जब भारत स्वतंत्र नहीं था। एक बालक था। उसमें देशभक्ति का हौसला कूट-कूट कर भरा था।
वह बालक उन लोगों की पूरी मदद करता था, जो लोग आजादी को पाने के लिए और गुलामी की जंजीरों तोड़ने के लिए जी-जान से प्रयास कर रहे थे।
उस बच्चे में देशभक्ति का इतना हौसला देखकर उसकी मां को भी बहुत खुशी हुई लेकिन उसकी मां को मन ही मन में एक डर था कि कहीं "वह पुलिस से घबराकर उन लोगों के नाम-पत्ते ना बता दें जो आजादी के लिए छिपकर काम कर रहे थे।"
एक दिन माँ ने अपना यह डर उस बालक को बताया तो उस बालक ने बड़ी दृढ़ता से कहा कि "मां तुम बेफिक्र रहो! मैं पुलिस से बिल्कुल भी नहीं घबराऊंगा।"
वह बालक फिर भी बालक था। इसलिए मां को उस पर विश्वास ना हुआ। वह बोली "मैं तेरा एक इम्तिहान लूंगी।"
इसके बाद मां ने दिया जलाया और कहा कि "इस दीपक की लौ पर अपनी अंगुली रख दें।"
वह बालक एक क्षण के लिए भी नहीं झिझका। उसने तुरंत अपनी उंगली उस दीये की लौ पर अंगुली रख दी और वह अंगुली जलती रही। लेकिन उस बालक के मुंह से उफ् आवाज भी नहीं आई।
बालक का अटूट हौसला देख मां का जी भर आया। उसने उस बालक को अपने सीने से लगा लिया। इसके बाद वह बालक अपने काम में दोगुने उत्साह से जुट गया।
यह लड़का अशफ़ाकुल्ला था, जो आगे चलकर एक महान क्रांतिकारी बना।
जब कांकेरी षड्यंत्र के अपराध में उन्हें फांसी की सजा दी गई। तब उनके गले में फांसी का फंदा डालने पर भी वह ऐसे प्रसन्न हो रहे थे। जैसे मानो कि उनके जीवन की सबसे बड़ी इच्छा पूर्ण हो गई हो।
ऐसे महान क्रांतिकारी व्यक्ति का जीवन हमारे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।
3. राजा की अपंगता (Motivational story for kids in hindi)
बहुत समय पहले की बात है। किसी राज्य का एक राजा था। उस राजा के पास प्रत्येक राजा की तरह अपार संपदा और बहुत बड़ा महल था तथा नौकर-चाकार की बहुत बड़ी सेना थी। राजा होने के कारण उसे सब तरह का सुख था परंतु एक बहुत बड़ा दुख था। राजा को रात में अच्छी नींद नहीं आती थी। कभी गलती से नींद आ भी गई, तो बुरे सपने आते थे। राजा को इस कारण बहुत बेचैनी होती थी। राज्य के सभी वैद्य से कहीं बार इलाज कराया परंतु कोई फायदा नहीं हुआ।
एक बार उस राज्य में एक साधु आए। वह साधु बहुत महान थे। वह लोगों के दुख दूर किया करते थे। राजा को जब यह पता लगा तो वह भी अपनी नींद की समस्या को लेकर साधु के पास गए और जाकर बोले "महाराज, आप मेरा भी कष्ट दूर कीजिए।"
साधु ने कहा "राजा जी, आपके दुख का एक ही कारण है और वह है कि आप अपंग है।"
यह बात सुन राजा आश्चर्यचकित होकर उनकी ओर देखा और पूछा कि "महाराज ! आप मुझे किस कारण से अपंग कह रहे हो? मेरे हाथ पैर है।"
साधु ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया "कि अपंग वह नहीं है, जिसके हाथ पैर नहीं है। अपंग तो वह है, जो हाथ पैर होते हुए भी उनका इस्तेमाल ना करें।" बताओ तुम कितना काम करते हो।
राजा निःशब्द था, क्योंकि वह अपने हर छोटे काम के लिए नौकरों पर निर्भर था।
साधु ने कहा "अगर तुम इस रोग से बचना चाहते हो तो अपने हाथ पैरों से इतनी मेहनत करो कि तुम थककर चूर हो जाओ।"
राजा ने साधु की बात मानी और अगले दिन वैसा ही किया जैसा साधु ने कहा था। दिन भर राजा ने अपने बाग में खूब मेहनत की जिसके कारण वह बहुत ज्यादा थक गया। रात को राजा को इतनी गहरी नींद आई कि वह सुबह जब उठा चकित हो गया।
इस प्रकार राजा की मेहनत ना करने की अपंगता का अंत हुआ।
4. सोने का दुःख (Motivational story for kids in hindi)
एक सेठ का उसके पास खूब धन-दौलत थी। लेकिन वह सेठ नींद नहीं आने के कारण दुखी रहता था। इस बीमारी के कारण उसका नौकर भी बहुत परेशान रहता था। एक दिन उस सेठ की मृत्यु हो गई और उसने सोना-चांदी, धन-दौलत सबकुछ उस नौकर के नाम कर दिया। सारी संपत्ति का मालिक बनने के बाद वह नौकर सोने की कोशिश करता था परन्तु उसे नींद नहीं आती थी।
एक दिन जब वह नौकर सोने की कोशिश कर रहा था तब उसे कुछ हड़बड़ाहट की आहट सुनाई दी। जब उसने देखा, तो एक चोर उसके सारे घर का धन समेट कर उसे बांधने का प्रयास कर रहा था परंतु वह जिस चादर की गठरी बनाना चाहता था, वह चादर छोटी पड़ रही थी।
नौकर ने जो चादर स्वयं ओढ़ रखी थी, उस चादर को चोर को देखकर बोला, "लो इसमें बांध लो।"
उस नौकर को देख चोर सारा धन छोड़कर भागने लगा परंतु उस नौकर ने उसे रोकते हुए विनती पूर्वक कहा कि 'भागो मत'। इस सारे धन (सोना, चांदी, हीरे, जवाहरात) को ले जाओ ताकि में चैन से सो सकूं।
इस धन-दौलत और सोने-चांदी ने मेरे सेठ जी की भी नींद उड़ा रखी थी और अब इस सोने ने मेरी भी नींद उड़ा रखी है।
इस सोने को तुम ले जाओ ताकि मैं सोने का अर्थात नींद का सुख ले सकूं।
इसीलिए जिस व्यक्ति के पास सोना-चांदी नहीं है वह सोना-चांदी न होने के कारण दुखी है और जिस व्यक्ति के पास खूब धन-दौलत, सोना-चांदी है वह व्यक्ति इस धन की सुरक्षा की चिंंता मे दुःखी है।
इसीलिए कहा गया है कि "कोई तन दुःखी",
"कोई मन दुःखी" और "कोई धन दुःखी"।
5. संकल्पशक्ति (Motivational story for kids in hindi)
पुराने समय की बात है। जब एक बार गौतम बुध्द अपने शिष्यों के साथ पर्वतीय क्षेत्र में ठहरे हुए थे। वह अपने शिष्यों के साथ शाम को भ्रमण पर निकले। वे सब प्रकृति के मनमोहक दृश्य का आनंद ले रहे थे। तब उन सभी शिष्यों में से एक शिष्य के मन में एक जिज्ञासा जागी। उसने उत्सुकता पूर्व पूछा कि इन चट्टानों पर किसी का भी शासन नहीं होगा क्योंकि यह अटल और अविचल है।
यह बात सुनकर महर्षि बुद्ध बोले "नहीं, इन शक्तिशाली चट्टानों पर भी किसी का शासन है। जब इन पर लोहे का प्रहार किया जाता है तो इनके भी टुकड़े हो जाते हैं।"
तब इस बात को सुनकर शिष्य बोला "फिर तो लोहा सर्वशक्तिशाली हुआ।"
तब गौतम बुद्ध फिर मुस्कुराकर बोले, " अग्नि लोहे का रूप भी परिवर्तित कर सकती है।"
उनकी यह बात सुनकर शिष्यों ने कहा "मतलब, अग्नि सबसे शक्तिशाली हुई।"
बुद्ध ने फिर जवाब दिया "जल अग्नि को भी शीतल कर सकता है।"
सभी शिष्य कुछ सोचने लगे। तब उन्हें देखकर बुद्ध समझ चुके थे, कि अभी तक इनकी जिज्ञासा शांत नहीं हुई है।
शिष्यों ने फिर पूछा कि "जल पर भी किसी का तो शासन होगा?
गौतम बुद्ध ने जवाब दिया "वायु का, क्योंकि वायु का वेग जल की दिशा को भी बदल देता है।"
शिष्यों के कुछ कहने से पहले ही, बुद्ध ने कहा कि अब तुम कहोगे पवन फिर तो सबसे शक्तिशाली हूई। नहीं। पवन से भी शक्तिशाली यदि कोई चीज है तो वह है मनुष्य की संकल्प शक्ति। मनुष्य की संकल्प शक्ति सर्व शक्तिशाली है क्योकिं मनुष्य अपनी संकल्पशक्ति से वायु, जल, अग्नि को भी नियंत्रित कर सकता है।
मनुष्य कोई भी महत्वपूर्ण कार्य अपनी संकल्पशक्ति के बिना संभव नहीं कर सकता। इसलिए संकल्पशक्ति का विस्तार करना चाहिए।
6. दान का फल
एक नगर की बात है। उस नगर में एक भिखारी रहता था। प्रतिदिन की तरह भिखारी भीख मांगने निकला। उसका मानना था, कि जो कुछ भी मिले उस पर अपना अधिकार कर लो।
एक घर से उसे कुछ अनाज मिला। वह आगे बढ़ा और नगर के मुख्य मार्ग पर आ गया।
उसने सामने देखा तो पाया कि नगर का राजा उसकी ओर आ रहा है। राजा का रथ उसके पास आकर रुक गया। राजा रक्षे नीचे उतरा और भिखारी के सामने हाथ पसार कर बोला मुझे तुम भीख दो।
देश पर आज एक बहुत बड़ा संकट आने वाला है और ज्योतिषियों ने बताया है कि आज मुख्य मार्ग पर आपको जो पहला भिखारी मिले उससे अगर आप भीख मांगोगे तो यह संकट टल जाएगा। इसलिए तुम मना मत करना। भिखारी आश्चर्यचकित रह गया। राजा, मुझसे भीख मांग रहा है।
अनाज का दान देने के लिए जब उसने अपनी झोली में हाथ डाला तो उसकी मुट्ठी अनाज से पूरी भर गई लेकिन उसने सोचा कि इतना दे दूंगा तो मेरे पास क्या बचेगा और यह सोचकर उसने अपनी मुट्ठी ढीली कर दी। फिर उसने अपनी मुट्ठी में थोड़ा सा अनाज भरकर राजा को दे दिया।
इसके बाद भिखारी घर पहुंच कर पत्नी से बोला कि "आज मुझे भीख देनी पड़ी।" यह सुनकर पत्नी ने उस री भिखारी की झोली को उल्टा किया तो एक सोने का सिक्का गिरा। यह देखकर भिखारी ने सोचा कि मैंने राजा को सब कुछ ही क्यों न दिया ? आज मेरी जीवन भर की गरीबी मिट जाती।
इस कथा से हमें एक शिक्षा मिलती है कि यदि हम किसी को दान देते हैं तो हमारी संपन्नता सौ गुना बढ़ जाती है।
2 टिप्पणियाँ
कुछ देर बाद वह मोरों के रहने के ठिकाने पर पहुँचा. वहाँ उसने देखा कि मोरों के ढेर सारे पंख जमीन पर बिखरे हुए हैं. उसने सोचा कि यदि मैं इस पंखों को अपनी पूंछ में बांध लूं, तो मैं भी मोर जैसा सुंदर दिखने लगूंगा. Moral Story For Kids In Hindi) में बताया गया है. पढ़िए पूरी कहानी:- https://www.kidsworldsp.online/2021/07/peacock-and-magpie-story-in-hindi-kids.html
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